Anand lakhan, Deen Bandhu Samaj Sahyog , Indore (M.P)
The Power of Collective ‘Voice’ of the ‘Indore’s Labour Community’
As other states & cities, Indore is also facing the parliament election. In every election different parties always give word of mouth reassurance and after winning the election, they don’t even bother to come back and see the condition of our people. This time the people from different community also changed their strategy with these seasonal frogs. The newly formed SIC’s of different slum communities decided to generate their own “RIGHT DEMAND CHARTER“ in front of all the parties’ candidate.
बस्ती विकास महासंघ, इन्दौर
57 सी, सूयदेव नगर, केट रोड इन्दौर ए मो.नं. 9893642880
अधिकार मांग – पत्र
इन्दौर शहर के मेहनतकश गरीब मजदूर बस्तीवासी अपने जन-प्रतिनिधियों से क्या चाहते है ?
इन्दौर शहर मध्यप्रदेश की व्यवसायिक राजधानी है। भारत में इन्दौर शहर 14वां स्थान रखता है। 2021 तक इन्दौर शहर की जनसंख्या 35 लाख तक होने की संभावना है। पीथमपुर और देवास जैसे औद्योगिक क्षेत्रो के करीब होने की वजह से, पिछले दो दशकों में इन्दौर की जमीनों के भावों में एकदम से उछाल आया है। लोगो ने बाहर से आकर शहर मंे पूँजी लगाना शुरू की है। फिर चाहे मास्टर प्लान हो या कोई अन्य विकास योजना ये सब ही एक विशिष्ट वर्ग को फायदा देती नजर आती है। इन बीते वर्षो में कई योजनाएँ शहरवासियों पर विकास के नाम पर थोपी गई। इन योजनाओ से शहर का भला हुआ हो या नही, लेकिन सत्यानाश जरूर हुआ है। इन बीते वर्षो मंे शहर मे गरीबी बढ़ी है, घटी नहीं, बेरोजगारी का ऐसा आलम है कि आर्थिक तंगी को लेकर आत्महत्या के मामले बढ़ते ही जा रहे है। इन योजनाओ को लागू होेने से पहले ही हमे इन पर रोक लगानी होगी, उनमें शहर के गरीब वर्ग के लिए भी स्थान सुनिश्चित करना होगा।
इन्दौर शहर की कुल जनसंख्या का 65ः गरीब मजदूर बस्तियों में निवास करता है, जो शहर की कुल आवासीय एवं व्यवसायिक भूमि का 5ः हिस्सा उपयोग करता है। इन्दौर शहर के आर्थिक विकास में इस तबके का योगदान 50ः से भी ऊपर है, ये शहर निर्माता शहर को चलाते है, दौड़ाते है एवं बनाते है। शहर के विकास में इतना बड़ा योगदान होने के बावजूद भी इस वर्ग की शहर में मौजूद संसाधनंांे में हिस्सेदारी 5ः या उससे भी कम है, फिर चाहे बात उनके सर पर स्थित छत के स्थायित्व की हो या उनसे जुड़ी हुई मूल भूत सुविधाओं एवं सेवाओ, जैस शुद्ध पेयजल, भरपूर बिजली, स्वरोजगार की व्यवस्था, प्राथमिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य केन्द्र, स्वच्छ एवं सुरक्षित शौचालयो, बेहतर सुविधाओं वाले कम्युनिटी हाॅल। ये सभी सुविधाओं से वंचित है।
इस 65ः मेहनतकश तबके को सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है। हर पाँच वर्ष में ये तबका वोट के रूप में अपने अधिकारों की आहुति देता आया है एवं चुनाव के बाद, चुने हुए जनप्रतिनिधियों द्वारा पूरी तरह नजर अंदाज किया जा रहा है। हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधियों को यह पता होना चाहिए कि वे हमारे द्वारा चुने हुए होते है और उनकी भूमिका, हमारे विकास हेतु, हमारे एवं प्रशासन के मध्य एक सेतु की होती है।
लेकिन इस बार की आहुति में इन्दौर शहर के मेहनतकश बस्तीवासियों ने तय किया है कि वे अपने जन-प्रतिनिधियों के सामने एक विशेष अधिकार मांग – पत्र रखेंगे, एवं जो उम्मीदवार इस मांँग पत्र पर अपनी सहमति प्रदान करेगा उसे ही अपना बहुमूल्य वोट देगे। इस अधिकार माँग पत्र के माध्यम से हम यह भी दर्शाना चाहते है कि हम हितग्राही न होकर अधिकारी हैं।
हमारी अधिकारीक मांगे निम्न है रू
1. बस्ती में ही प्राथमिक शिक्षा केन्द्र स्थापित किए जाए।
2. बिजली के अनियंत्रित एवं अधिक राशि के बिलो पर नियंत्रण किया जाए।
3. बस्ती के समीप स्थित शराब की दुंकाने बन्द कराई जाए।
4. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की जाए।
5. बिना किसी औपचारिकता के गरीबी रेखा के नीचे के कार्ड बनाए जाए।
6. शहरी गरीबो को केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले ऋण तुरन्त प्रदान किया जाए।
7. बस्ती की युवा लड़कियों एवं महिलाओं के लिए स्वरोजगार के प्रशिक्षण एवं ऋण की व्यवस्था की जाए।
8. सभी बस्तीयों में महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए स्वच्छ एवं निःशुल्क शौचालयों एवं स्नानघरो का निर्माण किया जाए।
9. बस्ती कार्यकर्ताओं की राजनीतिक पार्टीयों में अहम् भूमिका एवं सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
10. बस्ती के रहवासियों एवं उक्त क्षेत्र के पुलिस कर्मियों के मध्य एक कमेटी गठित की जाए।
11. केन्द्र एवं राज्य सरकारो द्वारा निर्धारित सभी सामाजिक सुरक्षा पेंशनो को बिना लालफिताशाही के तुरन्त दिलवायी जाए।
12. सभी मजदूर बस्तीयों में समय – समय पर सरकारी योजनाओं, सुविधाओं एवं सेवाओं से संदर्भित केम्प लगाए जाए।
विशेष अधिकार बिन्दुं
1. नगरीय स्तर पर बस्ती विकास महासंघ, इन्दौर की सहभागिता से स्लम पाॅलिसी बनाई जाए।
2. बस्तीयांे के विकास के लिए नगरीय स्तर पर कमेटी गठित की जाए।
3. विकास के लिए गठित कमेटी में बस्ती विकास महासंघ को शामिल किया जाए।
4. बस्तीयों की अवैध बेदखली एवं विस्थापन तुरन्त रोका जाए।
5. वर्तमान की सभी बस्तीयों के रहवासियों को तुरन्त मालिकाना हक देते हुए स्थायित्व प्रदान करे।
6. शहर में बाहर से आए हुए मजदूरो को चिन्हित कर हर वर्ष रहवासी पट्टे प्रदान किए जाए।
7. कमजोर वर्गो के लिए आरक्षित 15ः भूमि के प्रावधान को उसके मूल स्वरूप में लागू किया जावे एवं इस प्रावधान में पुर्नस्थापित बस्तीयों को तुरन्त रजिस्ट्री प्रदान की जावे।
And they told all the candidates to give in writing; they should sign the demand letter. The joined group of community & college youth took the initiatives; they went to the community peoples and motivate them to write their own demand on long sheet.
The campaign started from 15th April to 20th April . Around 12 sheets of demand was filled from ten communities (Anna Bhau Sathe Nagar, Chikitsak Nagar, Vidhyasagar Nagar – 140 no scheme, New Suryadev Nagar, Daak-Taar Colony, Surydev Nagar Purani Basti, Budh Nagar, Indrajeet Nagar, Rahul Gandhi Nagar & Panchsheel Nagar)
Following which the common demands was identified and on 22nd April submitted before the candidates under the “Slum development federation”. This is the first time, when weaker section of the city has given their own demand letter to the party candidates.
8. जे.एन.एन.यू.आर.एम. के अन्तर्गत निर्माण किए गए भवनो के वितरण में पारदर्शिता रखी जाए।
9. एरोड्रम स्थित पंचशील नगर के रहवासियों को तुरन्त जे.एन.एन.यू.आर.एम. के भवनो मंे स्थानांतरित किया जाए।
10. वेम्बे एवं जे.एन.एन.य.ूआर.एम. के तहत् बनाए गए भवना में स्थानांतरित किया गए परिवारों से बी.पी.एल.कार्ड वापस नहीं लिया जाए।
11. राजीव आवास योजना के तहत् बनने वाले भवनो को निर्माण बहुमंजिला न होकर एकल ईकाई का निर्माण रहवासियों की सहमति एवं सहभागिता से किया जाए।
12. शहर में निर्मित आश्रय स्थलो में शहरी बेघरो की उपल्बधता सुनिश्चित की जाए।
13. स्ट्रीट वेंडरस ( प्रोटेक्षन ऑफ लाइवलीहुड एण्ड रेग्युलेशन ऑफ स्ट्रीट वेंडींग ) एक्ट 2014